लखनादौन (म.प्र.) का निवासी हूँ। भोपाल में रहकर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन से अभियांत्रिकी तथा कंप्यूटर साइंस से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में सहकारी समिति लखनादौन में कनिष्ठ विक्रेता पद पर कार्यरत हूँ। विज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु विज्ञान सम्मेलनों में शोधपत्र वाचन एवं शौकिया लेखन करता हूँ। विज्ञान के अलावा धर्म, दर्शन, गणित, इतिहास और प्रशासन मेरे पसंदीदा विषय हैं। 'आग से अंतरिक्ष तक' मेरी पहली पुस्तक है। जिसमें विज्ञान के सहजबोध, इतिहास, विकास, दर्शन, खोजें, विधियाँ, पद्धति, कार्यशैली के आदर्श और मानक तरीके, सामाजिकता पर प्रभाव तथा वैज्ञानिकों-दार्शनिकों के उद्धरणों का लेखन किया गया है।
इसके अंतर्गत प्राकृतिक नियमों, पदार्थ के अमूर्त गुणों, उनके आपसी सह-संबंधों और मापन की पद्धतियों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा में प्रयोग विधि के साथ-साथ गणित का विशेष महत्त्व है। व्यावहारिक शाखा के रूप में इसी शाखा से तकनीक का प्रादुर्भाव हुआ है।
इसके अंतर्गत पदार्थ के गुणों, आपसी भिन्नता और उनके योग से होने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा में प्रयोग विधि के साथ-साथ वर्गीकरण का विशेष महत्त्व है। व्यावहारिक शाखा के रूप में इसी शाखा से पदार्थ विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ है।
इसके अंतर्गत जीव-जंतुओं,पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों में भौतिक-रासायनिक परिवर्तनों और उनके विकास का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा में आँकड़े आधारित आगमन विधि के साथ कार्य-कारण सिद्धांत महत्त्वपूर्ण है। व्यावहारिक शाखा के रूप में इन शाखाओं से चिकित्सा और कृषि विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ है।
इसके अंतर्गत ग्रह, उपग्रह, तारे और उनके चरण, नक्षत्रों तथा प्राकृतिक नियमों द्वारा संचालित होने वाले आकाशीय पिंडों और तंत्रों की गतियों और उनके घटकों का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा में मुख्य रूप से प्रेक्षण विधि उपयोगी है। व्यावहारिक शाखा के रूप में अंतरिक्ष और राकेट विज्ञान फलफूल रहा है।
इसके अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक और बाह्य संरचना, निर्माण के रासायनिक तत्व और उनमें होने वाले भौतिक-रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं। प्रेक्षण विधि के साथ-साथ रेडियो-एक्टिव और कार्बन-14 विधि परीक्षण में सहायक है। व्यावहारिक शाखा के रूप में खनन विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ है।
इसके अंतर्गत राजनीतिक-आर्थिक-धार्मिक व्यवस्थाओं में घटकों का सामंजस्य, कारकों का प्रभाव, मूल आवश्यकताओं और मानवीय व्यवहार का सिर्फ मात्रात्मक अध्ययन किया जाता है। विवरणात्मक अध्ययन को विज्ञान में शामिल नहीं किया जाता है। व्यापक क्षेत्र के लम्बी समयावधि में एकत्रित किये आँकड़े महत्त्व रखते हैं।
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"This is a unique blog which deals with science issues, particularly with scientific concepts and all that is happening in the universe."Deutsche Welle (The BOBs पुरस्कार के ब्लॉग नॉमिनेशन पर)
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